“मेरा देश मेरा घर” यह कहने, सुनने के लिए बहुत सरल है, लेकिन बात जब इसे जीने की हो | तो हर व्यक्ति का उत्तर अलग अलग है, “मेरा देश मेरा घर” हर व्यक्ति यह विचार जीना चाहता है | लेकिन क्या यह जीना सच हो सकता है ? अगर हम पीछे मुड़कर देखे तो “मेरा देश मेरा घर”, इस विचार को जीने वाले महापुरुष इतिहास के विश्व पटल पर मिलेंगे, जैसे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम इन्होंने ने अपने “राम राज्य” में “मेरा देश मेरा घर” इस विचार को अपने प्रजा को जीना सिखाया. भगवान श्रीकृष्ण हो या हमारे संत, महात्मा हो सभी ने हमे “मेरा देश मेरा घर” इस संकल्पना को जीने के लिये प्रेरित किया। इसलिए विश्व का कल्याण और विश्व में सद्भावना हो – इसी विचार को माँ भारती के लाल आगे ले जा रहे है ।
माँ जिजाऊ, छत्रपती शिवाजी महाराज, धर्मवीर छत्रपती संभाजी महाराज, महाराणा प्रताप, सरदार वल्लभभाई पटेल, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर, भगतसिंह यह सभी हमारे महापुरुषों ने “विश्व का कल्याण हो और विश्व में सद्भावना हो ” यही जीवन जीना सिखाया है । छत्रपती चैरिटेबल फ़ाउंडेशन का संकल्प है | हमारे महापुरुषों के अधूरे सपनो को पूर्ण रूप देकर इक्कीसवी सदी में माँ भारती को विश्व के पटल पर विश्व का कल्याण हो और विश्व मे सद्भावना हो यह संकल्प को समर्पित भाव से एक साथ मिलकर इतिहास दोहराते है ।