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घरोंदा
किसी को अपना विश्व निर्माण करते समय कठीण परिश्रम से गुजरना पडता है. लेकिन कभी-कभी कोई अंजान व्यक्ति आकर इस विश्व को उजाडना चाहता है. लेकिन जब उसी अंजान व्यक्ति को खुदका विश्व बनाने के लिये मेहनत करनी पडती है, तभी उसे अपने गलती का एहसास होता है.

कव्हर
कभी-कभी हम खुशी धुंडने मे इस कदर खो जाते है की वो हमे कभी मिलती ही नही. क्या पता खुशी हमारे पिछे खडी रहकर हमे धुंड रही हो.

स्वाभिमान
किसी चीज का मोह न करते हुए आप जिंदगी जीते रहते है, तो उस बदले मे आपको खुशिया जरूर मिलती है.

मन मे है आत्मविश्वास
अगर हो कभी भी मन मे डर का अहसास, हर डर को मात दे सकता है बस तुम्हारा आत्मविश्वास

बटुवा
हर एक के जेब मे एक बटुवा होता है. उस बटुवे के पैसो का इस्तमाल
सही जगह, सही वक्त पे करना चाहीये.

दो दुनिया
खुद की नजर से अकेले की दुनिया जिने वाले दादाजी,
अब उसी नजर से उनकी और उनके पोती की दुनिया जीते है.

कडवा प्रसाद
जब भूक मिटाने के लिये भिक एकमात्र उपाय रह जाता है.
तभी गणेशजी का मिठा प्रसाद भी कडवे प्रसाद मे बदल जाता है.