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कव्हर

कव्हर:- कभी-कभी हम खुशी धुंडने मे इस कदर खो जाते है की वो हमे कभी मिलती ही नही. क्या पता खुशी हमारे पिछे खडी रहकर हमे धुंड रही हो.

शाम का वक्त था, मंथन अपने स्कूल के किताब को अखबार का कव्हर लगाते रहता है. कव्हर लगाने के बाद किताब अपने स्कूल बॅग मे भरता है. दुसरे दिन मंथन स्कूल आता है, क्लासरूम मे देखता है तो सभी बच्चो के हाथो मे रंगबेरंगी कव्हर लगाये हुए किताब है. एक-दुसरे के किताबो को देखते हुए सभी बच्चे एक-दुसरे की तारीफ कर रहे होते है. किसी भी बच्चे के किताब का कव्हर अखबार का नही था. ये सब देखकर मंथन मायूस होकर अपने बेंच पर आकर बैठता है.  मंथन को देखकर कुछ बच्चो का एक ग्रुप मंथन के पास आता है और उसे अपनी किताब दिखाने को बोलते है, लेकिन इन सब किताबो के कव्हर के बिच मंथन अपने किताब का कव्हर दिखाना नही चाहता.लेकिन एक लडका जबरदस्ती मंथन के बॅग से किताब निकालता है.

किताब बाहर निकालते ही मंथन शरम से अपणा सिर नीचे झुकाता है. अखबार का कव्हर देखते ही सब बच्चे मंथन पर हसने लगते है. ये सब देखकर मंथन को रोना आता है. शाम को स्कूल छुटने के बाद मंथन घर आता है और अकेले गुमसूम बैठे रहता है तभी उसकी मां जया उसे पुछती है की क्या हुवा ? मंथन स्कूल मे हुवा सारा किस्सा बताता है और कहता है की, ” मुझे अखबार का कव्हर नही बलकी नया कव्हर चाहीये” और रोने लगता है. जया मंथन की आंखे पोंछती है और बॅग से वो किताब बाहर निकालकर उस किताब का कव्हर खोलने लगती है. कव्हर खोलते-खोलते जया का ध्यान कव्हर के पिछली ओर जाता है. उस पन्ने को देखकर जया के चेहरे पर धिरे धिरे मुस्कान आने लगती है. जया मंथन से कहती है की, “अब ये अखबार का पन्ना उलटी ओर से किताब पर लगाकर स्कूल मे जाना और फिर देखना क्या जादू होता है”. मंथन को कुछ भी समझ नही आता.

दुसरे दिन मंथन स्कूल आता है. अपने बेंच पर जाकर बैठता है. क्लास मे मस्ती कर रहे बच्चो का ग्रुप मंथन के पास आता है और कल के कव्हर को लेकर चिढाने लगते है. मंथन को जया ने कल रात कहे हुए शब्द याद आते है, “ये अखबार का पन्ना उलटी ओर से किताब पर लगाकर स्कूल मे जाना और फिर देखना क्या जादू होता है”. अब मंथन धिरे-धिरे अपने बॅग से किताब निकालता है और अभी वही अखबार दुसरी बाजू की ओर से किताब का कव्हर बना है. और उस अखबार पर एक चित्र छपा है जिसमे, एक स्कूल है और उस स्कूल के मैदानपर कुछ बच्चे बडे आनंद से खेल रहे होते है.

वो चित्र उस किताब के मुखपृष्ठ पे बैठे होता है. वो चित्र सभी बच्चो का ध्यान खिच रहा होता है. चिढाने वाले बच्चो के मूह से अब उस कव्हर के बारे मे तारीफे निकलती है. और मंथन के चेहरे पर धिरे-धिरे मुस्कान दिखाई देती है.

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