कडवा प्रसाद:- जब भूक मिटाने के लिये भिक एकमात्र उपाय रह जाता है. तभी गणेशजी का मिठा प्रसाद भी कडवे प्रसाद मे बदल जाता है.
श्याम का वक्त था. गणेश विसर्जन के लिये उनके भक्तो कि भीड ज्यादा होते जा रही थी. ढोल-नगाडो की आवाजे चारो ओर घुम रही थी. इसी बिच एक परिवार अपने बाप्पा का विसर्जन करने निकल पडा था. छोटेसे हातगाडी पर गणेशजी की मूर्ती, मूर्ती के सामने फल और प्रसाद, बाजूमे आरती की थाली, दो छोटे साऊंड स्पीकर जिनमे गणेशजी के गाणे पर उस परिवार के सदस्य जिनमे तीन पुरुष, तीन महिला और पांच छोटे बच्चे गुलाल हवा मे उडाते हुए नाच रहे थे. तभी उस वक्त रास्ते के दुसरी ओर आठ साल का एक बच्चा मदन जिसके कपडे फटे हुए है, बाल बिखरे, चेहरे पर कोई निखार नही, वो भीड के लोगो को भिक मांग रहा था. लेकिन कोई उसकी तरफ नही देखता.
सब उसे अपने पास से भगा रहे थे. मदन मायूस हो जाता है. फिर उसे रास्ते की दुसरी ओर उस परिवार की गणेश विसर्जन की रॅली दिखाई देती है. उस परिवार के छोटे बच्चे नाचते दिखाई देते है. मदन उन्हे देखता है और रास्ते की दुसरी ओर चला जाता है. मदन उस परिवार के पास आकर परिवार के सदस्यो को भिक मांगने लगता है. लेकिन सब लोग नाचने मे व्यस्त है ऐसा जताके जानबूझकर उसकी तरफ नही देखते. परिवार के छोटे बच्चे मदन की तरफ देख कर हंस रहे थे. मदन अभी भी भिक मांग रहा था. लेकिन मदन को परिवार मे से कोई भी भिक देने को तैयार नही था. इतना प्रयास करने के बाद भी कुछ हासिल नही हुवा ये सोचकर मदन मायूस होकर हातगाडी के पास जाकर खडा रहता है. तभी मदन का ध्यान हातगाडी के गणेश मूर्ती की तरफ जाता है. मूर्ती के बाजू मे जो फल और प्रसाद रखे है उसपर मदन का ध्यान जाता है. मदन फल और प्रसाद को देखते रहता है. आजूबाजू मे देखता है तो सामने वाली गली खाली है. वहा थोडा अंधेरा होता है. फिर परिवार के तरफ देखता है.
परिवार नाचने मे व्यस्त है. अभी मदन हातगाडी के पास थोडा आगे सरकता है और इसी चीज का फायदा उठाकर फलो मे से केली का एक गुच्छा उठाकर भाग निकलता है. परिवार के सदस्य को मदन भगवान का प्रसाद लेकर भागते दिखाई देता है. वो मदन की तरफ भागता है. “भगवान का प्रसाद लेकर भाग रहा है. कोई पकडो उसे, भगवान का प्रसाद लेकर भाग रहा है.” चिल्लाते हुए मदन को पकडने की कोशिश करता है, लेकिन मदन अंधेरी गली मे से भाग निकलता है. वो सदस्य मदन को पकड नही पाता और वापस अपने रॅली के पास आता है. और रॅली के पास आकर भगवान का प्रसाद चोरी हुया बडबडाने लगता है. मदन उस गली मे से भागते हुए रास्तेपर आता है. आजूबाजू देखता है तो उसके पिछे कोई भी नही. मदन चैन की सांस लेता है.
अभी मदन, केले के गुच्छे को लेकर एक पूल के पास आता है. उस पूल के पिल्लर के पास 6 साल की अपाहीज लडकी रविना, एक तुटी हुयी गुडिया के साथ खेलती रहती है. ये मदन की छोटी बहन होती है. मदन रविना के पास आता है. रविना का ध्यान मदन के हाथ मे केले के गुच्छे की तरफ जाता है रविना के चेहरे पर हलकी सी मुस्कान खिलती है. मदन उदास होकर रविना के पास बैठता है. मदन केले का गुच्छा रविना के सामने रखते हुए कहता है की, “आज के भूक का इंतजाम हुवा”. रविना हाथो मे से गुडिया नीचे रखती है और केले के गुच्छे से केले तोडकर खाती रहती है.
मदन गुच्छे मे से दो केले निकालकर पूल के पिल्लर पर चिपकाये गणेशजी के फोटो के पास रखता है और कहता है “ये आपका हिस्सा”. रविना केले खाते रहती है. और मदन गणेशजी की फोटो को हाथ जोडे बैठा रहता है. उसके मन का दुख अब आंखो से बहता जाता है.
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