page-header

मन मे है आत्मविश्वास

मन मे है आत्मविश्वास:- अगर हो कभी भी मन मे डर का अहसास, हर डर को मात दे सकता है बस तुम्हारा आत्मविश्वास

रात के लगभग ११ बजे का समय था. २३ साल की आरुषी बॅग लेकर रास्ते से जा रही थी. इतने मे उसका मोबाईल बजता है. उसके घर से फोन होता है. वो फोन उठाती है. पापा से बात करती है, “हा पापा निकल चुकी हूं. आज ओवरटाइम था तो थोडा ज्यादा देर रुकना पडा. कोई गाडी नही थी इसलीये शॉर्टकट लेकर पैदल ही आ रही हूं. आप फिकर मत करीये मै आधे घंटे मे आ जाऊंगी”. वो फोन रखती है, और अकेले सुनसान रास्ते से जाती रहती है. थोडे आगे जाकर वो एक कॉर्नर से मुडती है. वो रास्ता पुरा सुनसान है और अंधेरा है.

आरुषी थोडी आगे बढती जाती है तो उसे एक लडको का ग्रुप शराब पिते हुये दिखाई देता है. आरुषी उन लोगो को देखकर सहमती है. और डरे-सहमे हुये आगे बढती है. लडको की नजर उसपर पडती है. लडके शराब की बोतल से एक-एक सिप बारी बारी से पिते है और आरुषी के पिछे निकलते है. आरुषी कि धडकने बढती है और वो तेजी से चलती जाती है. लडके उसके पिछे-पिछे जाते है. अब आरुषी अपनी बॅग को टाईट पकडकर दौडने लगती है. लडके उसके पिछे दौडते है. आरुषी दौडते-दौडते आगे बढती है. आरुषी एक गली से मुडती है. लडके अब अपनी रफ्तार बढाते है. आरुषी डरी-सहमी सी और तेज भागने लगती है. अब लडको का स्पीड और बढता है. तभी आरुषी भागते-भागते एक चॉल की तरफ डती है. तभी आरुषी उस चॉल मे जाकर एक घर का दरवाजा झट से खोलती है.

सामने एक ५५ साल के हट्टेकट्टे आदमी कर्नल खुर्सी पर बैठकर कुछ लिख रहे होते है. उनके सामने बडा टेबल है और पिछे कुछ मेडल्स लगाये हुये है. अचानक दरवाजा खोलने की वजह से कर्नल उस लडकी की तरफ देखते है. तभी वो लडके उस घर तक आते है. लडके थोडा आगे बढते है. आरुषी डरी-सहमी सी कर्नल के बाजूमे जाकर खडी होती है. कर्नल लडको को देखते है और खुर्सी पर बैठकर ही पुरे कॉन्फिडन्स के साथ उनसे कहते है. “आगे मत बढना.”सब लडके हसते है. अब कर्नल उनकी आंखो मे आंखे डालकर बोलते है, “अगर एक कदम भी आगे बढाया, तो ये टेबल उसी पल तुम्हारे सिर पर होगा. अगर यकिन ना हो तो बढाओ कदम.” कर्नल अपने हाथो से जोर से टेबल के दोनो हिस्सो को पकडते है. लडके उन्हे देखते रहते है. कर्नल गुस्से मे टेबल के दोनो हिस्सो को पकडे ही रहते है.

अब लडके थोडे से डर जाते है. लेकिन एक लडका थोडा आगे बढने जाता ही है और कर्नल बस अब टेबल उठाने की कोशिश मे ही है, तभी बाकी के लडके उस लडके को रोकते है. पहला लडका शांत होता है और फिर सब लडके घर से बाहर निकलकर जिस रास्ते से आये थे उसी रास्ते पर भागते है. ऊनके भागने की आवाज थोडी देर सुनाई देती है. कर्नल और आरुषी अब राहत की सांस लेते है. आरुषी थोडी रीलॅक्स होते हुये कर्नल को थॅंक यू कहती है. कर्नल कहते है, “तुम्हारी जगह अगर मेरी बेटी होती तो भी मै यही करता. चलो मै तुम्हे चॉल के आखरी तक छोड देता हू.” और अब कर्नल टेबल का सहारा लेते हुये अपनी खुर्सी से उठते है और अब आरुषी आश्चर्यचकित रह जाती है. क्योकी कर्नल के पैर ही नही होते.वो टेबल के नीचे रखी हुयी उनके पैरो की लाठिया लेकर चलने लगते है.

आरुषी ऊनको सहारा देने के लिये बढती है, लेकिन कर्नल हाथो से ही इशारा करकर इसकी कोई जरूरत नही ऐसे बोलते है. आरुषी भी कर्नल के साथ आश्चर्य से चलने लगती है. दोनो भी घर से बाहर निकलते है. दोनो भी चॉल के बिच से चलते रहते है और चॉल के आखरी घर के पास आकर रुकते है. दोनो भी एक दुसरे के तरफ देखते है. आरुषी के आंखो मे आंसू आते है और वो कर्नल को सल्युट करती है. अब आरुषी उस रास्ते से चलने लगती है और कर्नल वही खडे रहकर आरुषी की तरफ देखते रहते है. आरुषी दुरतक चली जाती है. आरुषी के जाने तक कर्नल वही पर खडे रहकर पहरा देते रहते है.

______________________________________________________________________________________________

Back to top of page
Translate »