स्वच्छता अभियान:- दुसरो को दोष देना आसान होता है, खुद को दोष देना मुश्किल.
संतोष और मंगेश दोनो दोस्त बाइक पर बाते करते हुए जाते रहते है. मंगेश के मूह मे पान है और वो बाइक चलाते रहता है. इतने मे संतोष को जोरो की पेशाब लगती है और वो मंगेश को गाडी रोकने के लिये बोलता है. मंगेश के मूह मे पान होता है इस वजह से वो पान न थुकते ही वैसे ही बोलता है की, “अबे ठहर ना थोडी देर. अभी पोहचने ही वाले है घर”. संतोष कहता है, “घर पोहचते है की नही ये तो पता नही. लेकिन तुने अगर गाडी नही रोकी तो मै भगवान के घर तो जरूर पोहचुंगा. थोडी दूर जाकर मंगेश बाइक एक दीवार के सामने रोकता है. संतोष जल्दी मे बाइक से उतरता है और जाकर दीवार के सामने पेशाब करने लगता है. साथ मे मंगेश भी आता है और पेशाब करने लगता है. संतोष बडे सुकून से पेशाब करते रहता है, “एक नंबर और दो नंबर टाइम पर होनी चाहीये. नही तो फिर बहोत तकलीफ होती है”. संतोष मंगेश की तरफ देखकर बोलता है, “क्यो रे थोडी ही देर मे पोहचने वाले थे ना घर ? घर जाकर ही करता ? अभी क्यो कर रहा है ?
मंगेश मूह मे से पान की पिचकारी दीवार पर मारता है, और बोलने लगता है, “अभी एक दोस्त को लगी तो दुसरे को भी लगती ही है” संतोष पेशाब करकर रीलॅक्स होता है और दीवार के आजूबाजूमे देखता है तो, कचरे की बहोत गंदगी दिखाई देती है. कचरे को देखकर संतोष कहता है, “कैसे-कैसे लोग है यार हमारे देश मे इतनी सारी गंदगी करकर रखी है. ये हमारी जिम्मेदारी है की हमे हमारा एरिया साफ रखना चाहीये.” मंगेश फिरसे पान की पिचकारी दीवार पर मारकर बोलने लगता है. “हा ना यार संतोष, हमारी सरकार चिल्ला-चिल्लाके कहती है, कचरा मत करो-कचरा मत करो. लेकिन लोगो को कुछ भी लेना-देना नही.
उन्हे कितना भी समझावो लेकिन वो अपने ही मन की करेंगे. लोगो का कैसे रहता है, एक कान से सूनते है और दुसरे कान से छोड देते है. संतोष बोलता है, “इसलीये मुझे लोगो का बहोत गुस्सा आता है.
लेकिन मेरा वैसे नही है, मै सरकार की सारी नियमो का पालन करता हू.” संतोष और मंगेश पेशाब करके बाइक के पास आते है.
मंगेश बाइक स्टार्ट करता है और संतोष से कहता है, “इसलीये मेरा कहना है की, लोग जो करते है वो हमे नही करना चाहीये. हमे सरकार के पुरे नियमो का पालन करने की शुरुवात हम खुद से ही करनी चाहीये.” दोनो बाइक से निकलते है और दीवार दिखाई देती है जिसपर लिखा रहता है, “यहा कचरा डालना मना है, यहा पेशाब करना मना है, यहा थुंकना मना है.” और दीवार पर थुंकने के दाग, पेशाब के दाग और बहोत सारा कचरा दिखाई देता है. संतोष और मंगेश लोगो को दोष देते हुए वहा से निकल जाते है.
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